यदि कर्म काम करता है, तो इतने भ्रष्ट लोग सफल क्यों होते हैं? अच्छे लोगों को संघर्ष क्यों करना पड़ता है?

 

आइए यहाँ हम बात करेंगे कि –

यदि कर्म काम करता है, तो इतने भ्रष्ट लोग सफल क्यों होते हैं?

अच्छे लोगों को संघर्ष क्यों करना पड़ता है?

 

हर चीज के लिए समय होता है, भ्रष्ट लोग एक छोटा रास्ता अपनाते हैं, जो धोखे से भरा होता है, जबकि एक ईमानदार व्यक्ति को अच्छे कर्म द्वारा एक रास्ता चुनना पड़ता है और उसे धैर्य रखने की जरूरत होती है।

एक ईमानदार व्यक्ति एक लंबी यात्रा से गुजरता है और यह संघर्ष को भी कवर करता है।

एक बात हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि एक ईमानदार व्यक्ति शांतिपूर्ण तरीके से चैन से सोता है और शांति पूर्वक सरल जीवन जीता है।

वहीँ दूसरी ओर एक भ्रष्ट आदमी या कपटी व्यक्ति हमेशा डरा डरा सा  यूँ कहे कि हमेशा सहमा हुआ रहता है ।

हमें हमारे गुरुजन , हमारे पेरेंट्स, हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थ, चाहे वे किसी भी धर्म से सम्बंधित क्यों न हो, जैसे कि  वेद -पुराण, रामायण, भागवत गीता, कुरान शरीफ़, गुरु ग्रन्थ साहिब, बाईबल या कोई और… , सभी में एक ही बात कही गयी है या दूसरे शब्दों में कहें कि सभी का मूल सार एक है।  सभी में कर्म के बारे में बातचीत की गयी है ।

आइये अब हम कुछ प्रैक्टिकल बात करते हैं।  अगर हम धयान से सोचें  एवं देखने की कोशिस करें तो स्वर्ग और नरक के सभी दृश्य हमें इसी  दुनिया में देखने को मिल जाते हैं।

हर पल आप भगवान के न्याय के उदाहरण देख सकते हैं। चाहे आपके कर्म शुभ हों या अशुभ, आपको परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

karm ka phal kaise milta hai

उदाहरण के लिए इसीलिए वेदों को ले सकते हैं, वेद हमें यही सिखाते हैं कि हमेशा अपने कर्मों को याद रखो, यह सोचो कि तुमने क्या किया है क्योंकि यह सच है कि तुम्हें वहाँ भुगतना होगा।

जीवन का हर पल अनमोल है, इसलिए इसे बुरे कर्म के साथ व्यर्थ न जाने दें। हमेशा अपने खाते में अच्छे कर्मों को बढ़ाएं क्योंकि आपके अच्छे कर्मों का परिणाम बहुत ही सुखद होगा। इसका उल्टा भी उतना ही सच है, आपके बुरे कर्मों का फल एक दिन आपको बुरी तरह भुगतना पड़ेगा। इसलिए कार्यों पर ध्यान दें क्योंकि भगवान हमेशा न्याय करते हैं।

 

निष्कर्ष-

अंत में हम यही कहेंगे की हमेशा सही एवं अच्छे कार्य करें ताकि उनका लाभ हमें तो मिलेगा ही मिलेगा बल्कि दुसरो को भी इसका लाभ प्राप्त हो। क्योंकि  आपके किये गए कार्य का असर जितना आप पर होता है, उतना ही समाज पर, दुनिया पर  भी प्रभाव पड़ता है।

अब अगर हम साइंस की बात करें तो सइंटिफिकली भी यह प्रमाणित है कि हम दुसरो को जो भी देते है, तो बदले में भी हमें भी वो ही मिलता है। तो हमेशा अच्छे- अच्छे काम करे एवं खुश रहें।

न्यूटन का सिद्धांत भी हमें यही बताता है कि –
“किसी वस्तु के संवेग मे आया बदलाव उस वस्तु पर आरोपित बल (फाॅर्स) के समानुपाती (डायरेक्टली प्रोपोसनल) होता है तथा समान दिशा में घटित होता है।”

इसको सरल भाषा में उदाहरण के तौर पर ऐसे कह सकते है कि हम किसी दीवार पर जितने बल के साथ या जितने जोर से मुक्का मरेंगे तो दीवार भी हमारे हाथ पर ठीक उतने ही जोर से चोट करेगी।

कहने का सीधा सा अर्थ है कि जो हम बोयेंगे, वही हम पाएंगे। उसी तरह, हम दुसरो को जो भी देते है, तो बदले में भी हमें भी वो ही मिलता है। इसलिए हमेशा अच्छे- अच्छे काम करे एवं खुश रहें।

धन्यवाद!

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