Overthinking से छुटकारा कैसे पाएँ | Overthinking को कैसे रोकें

 

सबसे पहले इस बात को समझिये एवं अपने दिलो दिमाग में बैठा लीजिये कि जीवन की मुलभुत/ बेसिक जरूरतों (रोटी, कपड़ा और मकान ) में रोटी (यानि कि खाना ) सबसे पहले नंबर परआता है।

तो सबसे पहले हमें जिन्दा रहना होता है, अपने आप को इस संसार में बचाये रखना होता है, खासकर जब सभी तरह से मुशीबतों ने घेर रखा हो।

ऎसी स्थिति में ये मान के चलिए कि जीने के लिए सिर्फ रोटी खानी है ना?

कैसे भी कर लूँगा, मैं अपना इंतजाम कर लूँगा। उसके अलावा जो छोटी-छोटी बातें हैं, उन्हें खुद से अपने अंदर से जवाब दो।

 

अपनी प्रॉब्लम्स को उनकी औकात दिखाओ। 

जो आपके मन में बार-बार चल रही हैं, उन्हें वैसे ही जवाब दो जैसे दुनिया को दिखाते हो। अपने ख्यालों को भी दिखाओ कि मैं मजबूत हूँ, तू मुझे तोड़ नहीं सकता। जो होगा, सामना कर लूँगा, आगे बढ़ जाऊँगा।

 

एक होता है मुंह से बोलना, एक होता है मन से बोलना। 

आपको दोनों काम करने हैं।

मुंह से भी कहो और मन में भी उसको रिपीट करो। मन में आपको चांटिंग करनी है।

अब दो बातें होंगी—हर लम्हे में बेस्ट करना है और अपने आप से यह कहना है, “मुझे इस लम्हे में नहीं फँसना!”

 

यह कहानी बहुत बड़ी है, 

एक छोटे से लम्हे में फँसने के लिए, एक छोटी चीज़ के पीछे परेशान होने के लिए, कुछ भी इतना बड़ा नहीं है।

 

एक चींटी को देखो।

दीवार पर चल रही होगी, 100 बार गिर जाएगी, फिर भी 101वीं बार चढ़ जाएगी।

 

उसे(चींटी को) सफलता क्यों मिली? 

क्योंकि उसने इतना फालतू सोचा ही नहीं।

 

अगर वह दो-तीन बार गिरकर सोचने लगती—

“मैं नहीं कर सकती, मेरे को चोट लग गई, मेरा नुकसान हो गया, अब मैं क्या करूँ?”

तो वह तीसरी-चौथी बार कोशिश ही नहीं करती।

 

अब सोचो, तुम 8- 10-15 साल पुरानी बात को याद करके परेशान हो रहे हो। 

एक साल पुरानी बात को सोचकर घबराए जा रहे हो।

एक सेकंड पहले जो हुआ, उसे भी बार-बार याद कर रहे हो।

क्या उसे बदल सकते हो?

किसी कीमत पर नहीं।

 

दोस्त, मुझे पता है—सोचने से कोई हल नहीं निकलेगा, सिर्फ परेशानी बढ़ेगी।

पर मैं अपने आप को रोक ही नहीं पाता।

 

छोटी से छोटी बात पर परेशानी करता रहता हूँ।

निरंतर ख्याल आते रहते हैं, और मैं कुछ कर नहीं पाता।

मैं क्या करूँ?

 

खाने का समय, सोचने का नहीं 

आप खाना खा रहे हो, लेकिन खाने पर ध्यान नहीं।

पति या पत्नी से हुई लड़ाई के बारे में सोच रहे हो।

“उसने कितना गलत किया, कितना अहम है उसमें!”

“मैं उससे बात नहीं करूँगा, कोई चर्चा नहीं करूँगा।”

“यह बेकार इंसान मुझे मिला है।”

 

सोचते जा रहे हो। 

गुस्से को बार-बार जला रहे हो। 

 

खाना खत्म हो गया,

ना खाने का अहसास हुआ,

ना पेट भरने का सुख मिला।

बस एसिडिटी हो गई, गैस बन गई, और परेशानियाँ बढ़ गईं।

क्या यही करना था? 

आप खाना खा रहे हो—

“दाल है, सब्जी है, रोटी है, चावल है।”

गुस्सा छोड़ो और खाने पर ध्यान दो।

“मैं नसीब वाला हूँ, मुझे खाना मिल रहा है। भूख लगने पर रोटी मिल रही है।”

“मेरा पेट भर रहा है, मुझे ताकत मिलेगी, मैं अच्छा महसूस करूँगा!”

यह एहसास करो, यह जियो।

 

नहाने का समय, चिंता करने का नहीं

आप नहा रहे हो, लेकिन पानी पर ध्यान नहीं।

“डेडलाइन नज़दीक आ रही है, नौकरी का क्या होगा?”

“मेरे भविष्य का क्या होगा?”

बस परेशानियों में डूबे हुए हो।

साबुन भी ठीक से नहीं लग रहा।

पानी ठीक से नहीं बह रहा।

मुंह पर साबुन लगा रह जाता है।

 

क्या यही करना था? 

 

जब नहाने गए, तो सोचना था—

“मैं खुद को साफ कर रहा हूँ।”

“मैं स्वच्छ होकर बाहर निकलूँगा।”

“मेरे पास स्वच्छ पानी है, यह कितनी बड़ी लग्जरी है!”

सुकून से नहाओ, महसूस करो।

बाहर निकलो और खुद को अच्छा महसूस करो।

 

गाड़ी चलाने का समय, तनाव करने का नहीं

आप गाड़ी चला रहे हो, लेकिन रास्ते पर ध्यान नहीं।

“मेरा बिज़नेस बर्बाद हो जाएगा।”

“मेरे खर्चे कैसे निकलेंगे?”

“मेरी EMI कैसे भरी जाएगी?”

बस गुस्से में गाड़ी चला रहे हो।

सड़क का ध्यान नहीं।

कोई कभी भी सामने आ सकता है।

 

क्या यही करना था? 

 

जब गाड़ी चला रहे हो—

“मेरे पास एक गाड़ी है, मुझे पैदल नहीं चलना पड़ रहा।”

“मेरे पास AC है, कितनी बड़ी सहूलियत है!”

“गाने बजा रहा हूँ, अच्छा महसूस कर रहा हूँ।”

सड़क पर ध्यान दो।

अपनी सहूलियत की वैल्यू करो।

गाड़ी को अच्छे से चलाओ, ताकि कोई एक्सीडेंट न हो।

 

जीवन जीने के दो तरीके-

हर काम करते हुए दो तरीके से सोचा जा सकता है।

 

1️. पहला तरीका—ख्यालों में खोए रहो। 

हर काम की वैल्यू ज़ीरो कर दो।

बस परेशानियाँ सोचो, डर बढ़ाओ, घबराहट लाओ।

 

यह तरीका तुम्हें बर्बाद कर देगा।

 

  1. दूसरा तरीका—हर काम को जीओ।

जो कर रहे हो, उस पर ध्यान दो।

हर चीज़ को महसूस करो।

 

यही तरीका तुम्हें आगे बढ़ाएगा। 

सही (Correct) तरीका यह है कि–>  इस समय जो भी काम कर रहे हो, उस पर पूरा ध्यान केंद्रित करो। 

 

“मुझे यह काम अच्छे से करना है। मेरे जीवन में परेशानियाँ हैं, उनके ख्याल भी आ रहे होंगे—ठीक है, वे हैं।”

“लेकिन उनका हल सिर्फ इतना है कि इस क्षण में जो मैं कर रहा हूँ, उसे सही से करूँ।”

“हर क्षण में जो करना है, उसे पूरी लगन से करो। अपने कर्म करो। इसके अलावा कोई और हल नहीं है।”

 

अगर हल निकलेगा, तो टेंशन करके तो बिल्कुल भी नहीं निकलेगा।

काम करूंगा, तो कुछ न कुछ भला हो ही जाएगा।

और जो भी मैं इस समय कर रहा हूँ, उसे अच्छे से करना है।

सहूलियतों का एहसास करना है।

जीवन में जो सुविधाएँ मिली हैं, उन्हें समझना है।

इस क्षण में अच्छाई महसूस करनी है, अंदर से खुशी भी महसूस करनी है।

 

साथ में, अपनी टेंशन के लिए भी कोई प्लान बनाना है, कुछ करना है।

पर इस क्षण में जो काम है, पहले उसे करना है, ढंग से करना है।

 

जीवन जीने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? 

हर क्षण में जो काम मिला है, उसे पूरी लगन से करना।

जो जिम्मेदारी मिली है, उसे सही तरीके से निभाना।

 

यह सबसे अच्छा तरीका है।

 

“इस समय नहा रहे हो, तो अच्छे से नहाना।”

“इस समय खा रहे हो, तो अच्छे से खाना।”

“इस समय सो रहे हो, तो अच्छे से सोना।”

“इस समय काम कर रहे हो, तो मन लगाकर, ध्यान केंद्रित करके काम करना।”

 

अगर पूरा दिन इस तरह बिताओगे, तो हर दिन अच्छा जाएगा।

अपने विजन की ओर, अपने गोल की ओर, अपने भविष्य की ओर सही से आगे बढ़ पाओगे।

 

परेशानियों के हल भी निकलेंगे।

आगे भी बढ़ पाओगे।

 

अगर इस समय के काम के अलावा कोई और सोचते हो,

तो सिर्फ समय की बर्बादी करोगे।

अपनी ऊर्जा खत्म करोगे।

 

इस क्षण में जो करना है, सिर्फ वही करो।

 

“मैं फ्री हूँ।”

“मैं कैजुअल हूँ।”

“जो होना है, हो जाए।”

“इस समय मुझे सिर्फ अपना ध्यान काम पर लगाना है।”

 

नहा रहा हूँ, तो अच्छे से नहाऊँगा।

चाहे कोई बहुत बड़ा इंटरव्यू हो।

चाहे नौकरी से निकाल दें।

जो मर्जी हो।

इस समय मैं अच्छे से नहाऊँगा।

 

थोड़ा अपने लिए सेल्फिश बनो।

अपनी सेहत, अपनी रूटीन, अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखो।

 

यह युद्ध तुम्हारा खुद से है।

किसी और से नहीं।

 

अगर अपने आप से हार गए,

तो किसी से भी हार जाओगे।

 

समस्या आने पर क्या करना चाहिए? 

“मुझे एक प्लान बनाना है।”

“एक्शन लेने की योजना बनानी है।”

“लिखना है कि मुझे आगे क्या करना है।”

“फिर उसे एग्जीक्यूट करना है।”

 

अगर कोई बड़ी समस्या आ जाती है,

तो पहला काम यही होना चाहिए—प्लान बनाओ और उसे लागू करो।

 

“मेरी नौकरी चली गई।”

तो सिर्फ इतना सोचो—

“अब मुझे क्या करना है?”

“क्या सीखना है?”

“नौकरी कहाँ ढूँढनी है?”

“कैसे आगे बढ़ना है?”

 

धक्के खाने पड़ेंगे, तो खा लूँगा।

जो हुआ, वह हुआ।

अब हल निकालना है।

 

समस्या को हल करने के लिए एक शानदार योजना बनाओ और उसे लागू करो।

हर बार यही करना है।

 

हर दिन का टारगेट सेट करो 

 

“आज मुझे यह करना है।”

“इस घंटे में यह करना है।”

“इस समय यह करना है।”

 

“जो होगा, हो जाए।”

“जो भविष्य आएगा, आए।”

“जो परिस्थितियाँ आएँगी, आएँ।”

“मैं अपने इस समय के कार्य पर ध्यान केंद्रित करूँगा।”

 

अगर भविष्य की चिंता करोगे,

तो सिर्फ परेशान ही होते रहोगे।

 

अगर हर घंटे, हर दिन, हर महीने का प्लान रहेगा,

तो आप एक विजेता बन जाओगे।

 

क्या आप अपने भूत (Past) को बदल सकते हो? 

“पिछले 1 सेकंड में आपने जो किया, क्या उसे बदल सकते हो?”

“10 साल पुरानी बात को याद करके परेशान हो रहे हो?”

“एक साल पुरानी बात को सोचकर घबरा रहे हो?”

“एक सेकंड पहले जो हुआ, उसे भी बदल सकते हो?”

 

किसी कीमत पर नहीं।

आपका भूत कभी नहीं बदलेगा।

 

तो उस विशाल पत्थर से अपना सिर मारने का क्या फायदा? 

भूत को नहीं बदला जा सकता।

उससे सिर्फ सीखा जा सकता है।

 

तो जब भी भूत की याद आए, 

सोचो—”यह एक बड़ा पत्थर है।”

“मैं इसे हिला नहीं सकता।”

“अब मुझे आगे बढ़ना है।”

“आगे की योजना बनानी है।”

 

मूर्ख मत बनो, समझदार बनो 

“जो अभी कर सकते हो, सिर्फ वही करो।”

“उससे ज्यादा करने की कोशिश मत करो।”

 

“इस क्षण में जो करना है, उसे करो।”

“जो सोच सकते हो, उतना सोचो।”

“जो कर सकते हो, उतना करो।”

 

अगर मन इधर-उधर जाता है,

“गहरी सांस लो।”

“खुद से बोलो—पहले मैं यह करूँगा, अच्छे से करूँगा।”

“उसके बाद कुछ और सोचूँगा।”

 

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चींटी से सीखो!

 

एक चींटी देखो।

“दीवार पर चढ़ रही होगी।”

“100 बार गिरेगी।”

“फिर भी 101वीं बार चढ़ जाएगी!”

 

उसे सफलता क्यों मिली? 

क्योंकि उसने फालतू सोचा ही नहीं।

 

अगर पहले दो-तीन बार गिरकर सोचना शुरू कर देती—

“मैं नहीं कर सकती!”

“मुझे चोट लगी!”

“मेरा नुकसान हो गया!”

 

तो तीसरी-चौथी बार कोशिश ही नहीं करती।

इसलिए—

“करते रहो!”

“मेहनत करते रहो!”

“सफलता अपने आप मिलेगी!”

“सोच अपने आप शांत हो जाएगी!”

 

 

जीवन को एक कहानी की तरह देखो 

“परिस्थितियों में मत फँसो।”

“जीवन को एक बड़ी कहानी की तरह देखो।”

“कुछ मिलेगा, कुछ खो जाएगा।”

“सुख आएगा, दुख भी आएगा।”

 

अगर आज कोई बुरी चीज़ हुई,

तो वह पूरी कहानी से बड़ी नहीं है।

 

“आज एक एग्जाम में फेल हुआ।”

“10 साल बाद इसकी कितनी अहमियत होगी?”

“शायद कुछ नहीं।”

 

“आज कुछ बहुत बुरा हुआ।”

“10 साल बाद इसका असर रहेगा?”

“शायद नहीं।”

 

तो आज ही उसे अपने सिर पर मत चढ़ने दो।

 

अगर सिर पर चढ़ा लिया, तो समय बर्बाद होगा।

अगर नहीं चढ़ने दिया, तो आगे बढ़ जाओगे।

आगे बढ़ो, मजबूत बनो! 

 

“मुझसे कोई बड़ी गलती हुई है?”

“तो इसका एक कोड लिख लो—अब ऐसा नहीं होगा!”

“यह गलती जीवन भर नहीं दोहराऊँगा!”

“अब इसे सुधारूँगा!”

 

तो दोस्तों, सिर्फ आगे बढ़ो!

हर लम्हे में बेस्ट करो!

जीवन की कहानी पूरी करो!

हमेशा मुस्कुराते रहो, आगे बढ़ते रहो!

 

जीवन के उतार-चढ़ाव को अपनाएँ 

और दोस्तों, जब भी बहुत बुरे-बुरे ख्याल आए—

“कैसे कर पाऊँगा?”

“कुछ नहीं कर पाऊँगा।”

“मैं फँस गया हूँ!”

 

तो हमेशा याद रखो— 

“अब तक भी तुमने एक लंबा जीवन जिया है।”

“हर दिन अच्छा नहीं था।”

“बहुत परेशानियाँ आई थीं—चाहे बचपन हो या जवानी।”

 

तब भी ऐसा लगा था कि कुछ नहीं हो पाएगा, लेकिन हो गया।

रास्ते बन गए—तुमने बनाए, किस्मत ने बनाए, वक्त ने बनाए।

रास्ते तो बन ही गए और तुम यहाँ तक पहुँच गए।

 

ऐसे ही आगे भी बढ़ते चले जाओगे!

“जीवन नहीं रुकेगा!”

 

खुद से बोलो—”जीवन नहीं रुकेगा।”

“अगर परेशानी है, तो होने दो!”

“पर मेरा जीवन इसे रोकने वाला नहीं है!”

 

 हर दिन एक नया विचार रखें 

हर आने वाले दिन के लिए एक महत्वपूर्ण विचार होना चाहिए।

 

कोई ज्ञान से जुड़ा विषय,

कोई आध्यात्मिक टॉपिक,

कोई दर्शन से जुड़ा विचार,

या कोई अनुभव जिससे कुछ सीख सको।

 

हर दिन के लिए एक अहम टॉपिक अपनी जेब में रखो।

जब भी खाली समय मिले, उसके बारे में सोचो।

रिसर्च करो, विश्लेषण करो, लिखो, समझो।

 

टॉपिक पर सोचने का मकसद सिर्फ एक है—कुछ सीखना।

अपने दिमाग को फैलाना।

बुद्धि को बढ़ाना।

ज्ञान को विकसित करना।

इंटेलेक्चुअल बनना।

 

अपनी सोच को सही दिशा दो 

 

हमारे मन की रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) सीमित होती है।

अगर हमारे पास महत्वपूर्ण विचार हैं सोचने के लिए,

तो मन इधर-उधर नहीं भटकेगा।

 

“आज का टॉपिक आत्मा है—तो आत्मा के बारे में सोचो!”

“धार्मिक ग्रंथ पढ़ो, अपने विचार लिखो, खुद से सोचो!”

 

“आज का टॉपिक इंद्रियाँ हैं—तो समझो कि तुम अपनी इंद्रियों से अलग हो!”

“इंद्रियाँ केवल आनंद चाहती हैं। तुम्हें केवल आनंद नहीं चाहिए। तुम्हें आगे बढ़ना है, जीवन को समझना है!”

 

“आज किसी ने गुस्से में गलत हरकत की थी—उसके बारे में सोचो!”

“अगर उसने समझदारी से काम लिया होता, तो वह बच जाता।”

 

हर दिन कुछ नया सोचो, पढ़ो, लिखो।

देखना, कैसे लंबे समय में तुम बुद्धिमान, समझदार, और प्रबुद्ध बनते चले जाओगे।

 

ओवरथिंकिंग से बचने का तरीका –

 

“जब तुम्हारी सोच को सही दिशा मिलेगी, तब ओवरथिंकिंग खत्म हो जाएगी!”

“तुम्हारी सोच अब इधर-उधर नहीं भटकेगी!”

“तुमने अपनी सोच को सही रास्ता दे दिया!”

 

मंत्र, भजन और सकारात्मकता 

यह बात हर किसी को समझ में नहीं आएगी,

लेकिन मंत्र पढ़ना, भजन गाना, या कोई प्रेरक गीत सुनना—मन को शांत करने में मदद करता है।

 

“यह तुम्हारे ध्यान को समस्या से हटा देता है।” 

“लेकिन इसके लिए तुम्हारे अंदर विश्वास होना चाहिए।”

 

“जिस भी भगवान में, ईश्वर में, गुरु में तुम विश्वास रखते हो—उन्हें याद करो!”

“अपनी परेशानियाँ उन्हें सौंप दो!”

“उनके मंत्र पढ़ो, उनका जाप करो, भजन गाओ!”

 

“और अगर तुम नहीं मानते, तो कोई भी सकारात्मक गीत सुनो।”

“जब मन बहुत परेशान हो, तो सिर्फ 5 मिनट के लिए मंत्र या भजन गाओ—भरोसे के साथ!”

 

मुंह से बोलना ज़रूरी नहीं, मन से बोलना ज़रूरी है।

“जो तुम मुंह से कहते हो, उसे मन में भी दोहराओ!”

देखना, कैसे मन शांत होता है।

कैसे सकारात्मकता बढ़ती है।

 

आत्मविश्वास और मजबूती 

“तुम्हें एक सफल बॉक्सर बनना है।”

“एक फाइटर बनना है।”

 

“अपनी ओवरथिंकिंग की आदत से लड़ना है।” 

“अगर तुम्हारी परेशानियाँ तुम्हें नीचे गिरा रही हैं, तो तुम जवाब देना सीखो!”

“अगर तुम्हारे डर तुम्हें दबा रहे हैं, तो उनसे मुकाबला करो!”

 

खुद से कहो— 

“जो मेरा बिगाड़ना चाहता है, बिगाड़ ले!”

“जो करना है, कर ले!”

“मैं तुझे नहीं डरता!”

“तू कितना बड़ा क्यों न हो, मुझे तेरी परवाह नहीं है!”

 

“अगर तू मुझे गिराएगा, मैं फिर से उठूँगा!”

“अगर तू मुझे रोकना चाहेगा, मैं फिर भी आगे बढ़ूँगा!”

 

“तू कितना ही ताकतवर क्यों न हो, मेरी आत्मा के आगे कुछ भी नहीं है!”

“मेरी पहचान के आगे तेरी कोई औकात नहीं है!”

“भाड़ में जा, मुझे तेरी परवाह नहीं है!”

 

“मुझे खुद पर भरोसा है!”

“जो भी हो जाए, मैं किसी भी हालत में जिंदा रहूँगा!”

“अकेला भी रहूँगा, पर हार नहीं मानूँगा!”

 

हर गलती से सीखो, हर समस्या से आगे बढ़ो 

“अगर तुम्हारे जीवन में कोई बहुत बड़ी गलती हो गई है—तो इसे सुधारो!”

“इससे सीखो, और आगे बढ़ो!”

 

“जीवन में एक बार कोई बड़ी गलती करना, तुम्हें जीवनभर सही रास्ता दिखा सकता है!”

“एक गलती से सबकुछ खत्म नहीं होता।”

“बल्कि एक गलती से तुम्हें पूरी जिंदगी के लिए सीख मिलती है!”

 

 

 

जीवन चलता रहेगा 

 

“हर दिन अच्छा नहीं होगा।”

“परेशानियाँ आएँगी।”

“सुख भी आएगा, दुख भी आएगा।”

 

“पर अगर आज कुछ बुरा हो गया, तो 10 साल बाद इसका कोई मतलब नहीं रहेगा!”

“10 साल बाद यह सिर्फ एक faded memory होगी!”

“तो आज ही इसे अपने सिर पर मत बैठने दो!”

“आज ही इसे छोड़ दो!”

“आज ही अपने जीवन की कहानी को आगे बढ़ाओ!”

 

“एक बुरी याद, एक बुरी घटना—पूरी कहानी से बड़ी नहीं है!”

“कोई भी अनुभव तुम्हारे पूरे जीवन से बड़ा नहीं है!”

 

 मजबूत बनो, आगे बढ़ो! 

“जो हुआ, उसे मत रोको।”

“जो होगा, उसे अपनाओ।”

“जो सीख सकते हो, उसे सीखो।”

 

“जो कुछ भी बिगड़ा है, उसे सुधारो।”

“आगे बढ़ते जाओ।”

 

खुद से बोलो—”मैं इस कहानी को पूरा करूँगा!”

“मैं खुद को रोकूँगा नहीं!”

“मुझे आगे बढ़ना है!”

हमेशा मुस्कुराते रहो, हमेशा आगे बढ़ते रहो!

 

मजबूती और आत्मविश्वास 

“तुम्हें एक सफल क्रिकेटर बनना है, एक रेसलर या एथलीट बनना है।”

“तुम्हें अपने ओवरथिंकिंग की आदत से मुक्केबाजी करनी है—इससे लड़ना है।”

 

अगर तुम्हारी परेशानियाँ तुम्हें नीचा दिखा रही हैं, तो जवाब देना सीखो।

“अगर कोई तुम्हें अपमानित करता है, तुम चुपचाप सुनते रहोगे?”

“क्या होगा उसका अंजाम?”

 

जवाब दो, काउंटर करो, सही तर्क दो।

“उसे कहो—जो उखाड़ना है, उखाड़ ले!”

“जो मेरा बिगाड़ना चाहता है, बिगाड़ ले!”

“जो कर सकता है, कर ले!”

 

“मैं तुझे नहीं डरता।”

“तू कितना भी बड़ा क्यों न हो, मुझे तेरी परवाह नहीं है!”

“मेरे आगे तेरी कोई औकात नहीं है!”

 

“अगर तू मुझे गिराएगा, मैं फिर से उठूँगा!”

“अगर तू मुझे रोकना चाहेगा, मैं फिर भी आगे बढ़ूँगा!”

 

“तू कितना भी ताकतवर क्यों न हो, मेरे जीवन के आगे कुछ भी नहीं है!”

“मेरी पहचान के आगे तेरी कोई औकात नहीं है!”

“भाड़ में जा, मुझे तेरी परवाह नहीं है!”

 

“मुझे खुद पर इतना भरोसा है कि दो रोटी खाकर भी जी सकता हूँ!”

“जो कुछ भी हो जाए, मैं जिंदा रहूँगा!”

“अकेला भी रहूँगा, लेकिन हार नहीं मानूँगा!”

 

 

 जीवन को बाँधकर मत रखो—मुक्त होकर जियो! 

 

“मैं तेरी परवाह नहीं करता।”

“मैं तो मुक्त होकर जिऊँगा।”

“मैं तुझे नहीं डरता!”

 

“जीने के लिए दो रोटी चाहिए, वो कैसे भी कमा लूँगा।”

“उसके अलावा जो छोटी-छोटी बातें हैं, उन्हें खुद से जवाब दो।”

 

इन प्रॉब्लम्स को उनकी औकात दिखाओ।

“जो बार-बार तुम्हारे मन में चल रही हैं, उन्हें खुद पर हावी मत होने दो।”

“वो खुद भाग जाएँगी!”

 

“झुको मत, खुद को कमजोर महसूस मत करो।”

“हमेशा खुद को मजबूत रखो।”

 

जैसे दुनिया को दिखाते हो, वैसे ही अपने ख्यालों को दिखाओ।

“मैं मजबूत हूँ, तू मुझे तोड़ नहीं सकता!”

“जो होगा, सामना करूँगा!”

“आगे बढ़ जाऊँगा!”

 

 

 

 हर चीज़ को टेंपरेरी समझो—कुछ भी हमेशा के लिए नहीं है! 

 

“जो भी कुछ मिलेगा, उसकी एक एक्सपायरी डेट होगी।”

“वह एक न एक दिन चला जाएगा।”

 

“चाहे रिश्ते हों, सुविधाएँ हों, दुख हों, परेशानियाँ हों, असफलताएँ हों—हर चीज़ जो आई है, वह जाएगी।”

“सब कुछ इस दुनिया में टेंपरेरी है, किराए पर है।”

 

किसी चीज़ से इतना मत जुड़ो कि यह सोचने लगो कि वह हमेशा के लिए है।

“कुछ भी हमेशा-हमेशा के लिए नहीं है!”

 

“यह इस सेकंड भी जा सकता है, 10 साल बाद भी जा सकता है, 20 साल बाद भी जा सकता है।”

 

“तो खुद को जीवन से, उसके विषयों से इतना मत जोड़ो कि तुम्हें एहसास ही न हो कि वह टेंपरेरी है!”

“मुक्त होकर जियो, स्वतंत्र होकर जियो!”

 

 

 

 हर विषय को हल्का करो—उसमें मत फँसो! 

 

“गुस्सा करने की ज़रूरत नहीं है!”

“डरने की ज़रूरत नहीं है!”

“मोह, माया, नफरत, दुख—इन सबसे मुक्त होकर हल्का महसूस करो!”

 

अगर कोई विचार बार-बार आ रहा है, तो डायरी रखो। 

“अगर ओवरथिंकिंग की समस्या है, तो डायरी में लिखो!” 

“जो समस्या आ रही है, उसे पेन से लिखो!” 

 

“फिर लिखो, इसका हल क्या है?” 

“मैं इसके लिए क्या कर सकता हूँ?”

“मुझे इसके लिए यह करना है!”

“मैं अभी से यह काम शुरू कर दूँगा!”

 

अपने लिए डॉक्टर बनो। 

“अपनी खुद की प्रिस्क्रिप्शन बनाओ!”

“अगर परेशानी है, तो उसका हल यह है।”

“मुझे यह करना है!”

 एक्शन लो, सोच को काम में बदलो! 

“अगर तुम इसे करने में लग गए, तो समझो आधा हल वैसे ही निकल गया!”

“आज नहीं तो कल, अगले महीने—तुम इससे ऊपर उठ जाओगे!”

बस एक योजना बनाओ—”मुझे यह करना है, मुझे यहाँ जाना है, मुझे यह सीखना है!”

“जो भी प्लान बनाया है, उसे तुरंत शुरू करो!”

तब देखना—प्रॉब्लम का ख्याल मन से निकल जाएगा।

और सिर्फ समाधान ही नजर आएगा – “अब आगे क्या करना है?”, “कैसे हल निकालना है?”
सब कुछ क्लियर नजर आएगा, सिर्फ समाधान ही नजर आएंगे।

 

निष्कर्ष (Conclusion)-

हमेशा याद रखें, हर समस्या का हल होता है और हर मुश्किल समय बीत जाता है।

ओवरथिंकिंग सिर्फ हमें उलझाती है, लेकिन सही सोच और सही कदम हमें आगे बढ़ा सकते हैं।

सकारात्मक सोच रखें, खुद पर भरोसा करें, और हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करें।

जो हो चुका है, उसे बदला नहीं जा सकता—लेकिन आप आज क्या करते हैं, वह आपके भविष्य को बदल सकता है।

 

छोटी-छोटी बातों में उलझने से बचें, अपने समय और ऊर्जा को सही दिशा में लगाएँ।

जो भी करें, पूरा ध्यान और मेहनत लगाकर करें।

जीवन हमेशा आगे बढ़ता रहेगा, और आप भी आगे बढ़ते रहेंगे।

मजबूत बनें, सकारात्मक सोचें और हर दिन को पूरी तरह जिएं!

 

अंत में,ओवर थिंकिंग (Overthinking) की समस्या जड़ से ख़त्म हो जाएगी।  ऊपर बातये गए तरीको से ओवर थिंकिंग का नामो निशान तक मिट जायेगा, यकीन नहीं आता तो इसे आजमा कर देखें। बिलकुल मेरा यह पक्का दावा है।आपको 100 % रिजल्ट मिलेगा ही मिलेगा, ये मेरा खुद पर आजमाया हुआ है। इसलिए मजबूत बनो, आगे बढ़ो, और हमेशा मुस्कुराते रहो!

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