मुसीबत से छुटकारा कैसे पायें? अपने डर को कैसे भगाये?
मुसीबत से छुटकारा कैसे पायें ?
या प्रॉब्लम या मुसीबत का सामना कैसे करें ?
अपने डर को कैसे दूर करें ? कैसे भगाये अपने डर को ?
यहाँ मै एक कहानी के द्वारा आपको यह समझने की करूँगा कि मुसीबत में डरना नहीं चाहिए बल्कि मुसीबत का सामना करना चाहिए।
यह कहानी है तीन दोस्तों की जो कि एक छोटे से गांव में रहते थे। एक बार वे तीनो दोस्त किसी काम से शहर गए और वापस अपने गांव लौट रहे थे। उनके गांव तक पहुंचने के लिए उनको एक घने जंगल से होकर के गुजारना था। जब वह इस जंगल से गुजर रहे थे तो एक दोस्त को प्यास लगी और वे पानी ढूंढने के लिए गए और रास्ता भटक गए।
थोड़ी देर बाद शाम हो गई और रात होने ही वाली थी उनकी नजर एक गुफा पर पड़ी। क्योंकि वह गुफा चारों तरफ से पेड़ों से घिरी हुई थी तो उन्होंने सोचा कि रात बिताने के लिए यही जगह ठीक है। तो दोनों ने कुछ लकड़ी इकट्ठा करी उस गुफा के अंदर गए और आग जला कर के वहां पर बैठ गए।
रात का वक़्त था गुफा के अंदर आग जल रही थी। बाहर बिल्कुल अंधेरा था और बहार कुछ जानवरों की आवाजे आ रही थी। उन तीनो दोस्तों में से जो एक दोस्त जरा बेफिक्र स्वभाव का था। तो वह आग तापते हुए वहीँ सो गया। अब बाकी बचे दो दोस्तों में से एक अंदर ही अंदर डरने लगता है। उसे एक भयानक सी परछाई दिखने का आभास होने लगा।
क्योंकि उसने भूत -प्रेतों की बहुत सी कहानियां सुनी थी कि रात के वक्त जंगल में कुछ भयानक आत्मा भटकती है और अगर उनको कोई ऐसा भटका हुआ आदमी मिल जाए तो उसको नहीं छोड़ती।
तो जब उसने भूत प्रेतों की बात होने की बात शुरू की तो उसके तीसरे दोस्त ने हंसते हुए उससे पूछा, कि क्या कभी तूने किसी भूत को देखा है?
तो उसने कहा- नहीं, मैंने तो नहीं देखा लेकिन मेरे कुछ जान पहचान के लोग हैं जिन्होंने देखा है।
तो उसके तीसरे दोस्त ने उसको समझाने की बहुत कोशिश की और समझाया कि यार ऐसी सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करते हैं।
अब बहुत रात हो गयी है तो सो जाओ और मुझे भी सोने दे मुझे नींद आ रही है।
इस प्रकार तीनो में से दो दोस्त सो चके थे। अब बाकी बचा दोस्त जो की भूत प्रेतों की बातें कर रहा था, उसे नींद नहीं आ रही थी। थोड़ी देर में उसे वहां पत्थरों पर भूत की परछाईया दिखने लगी और उन परछाइयों को देखकर वह डरने लगा। कुछ घंटे तक ऐसे ही चलता रहा फिर उसके बाद में क्योंकि वह थका हुआ था तो उसको भी नींद आ गई।
लेकिन नींद आने के कुछ देर बाद ही उसको एक सपना आया सपने में उसको ही बहुत ही भयानक परछाई दिखाई दी जो उसकी तरफ बढ़ती हुई नजर आई।
फिर उसने अपने दोस्त की तरह देखा जो कि सो रहा था, उसको पकड़ कर उसको उठाया फिर उसने अपने दोस्त को बताया कि उसके साथ में क्या हुआ तो उसका दोस्त फिर हंसने लगा फिर उसके दोस्त ने उसको कहा- “अगर दोबारा से तुझे वह परछाई दिखे तू तो वहीं कहना जो मैं तुझे कह रहा हूं –
तुझे अपने अंदर ही अंदर बोलना है – “मैं तुझ से नहीं डरता, हिम्मत है तो सामने आओ”
फिर देखते है कि परछाई तेरा क्या करती है। तुझे बस अपने अंदर ही अंदर बोलना है – “मैं तुझ से नहीं डरता, हिम्मत है तो सामने आओ”
तो उसके दोस्त ने वैसा ही किया थोड़ी देर बाद दोबारा से उसको सपने में परछाई नजर आई तो उसने वैसा ही किया।
थोड़ी देर बाद दोबारा से उसकी परछाई नजर आई तो वह मन ही मन फिर दोहराने लगा- ” तुम जहाँ कहीं भी हो, मैं तुझे कह रहा हूं कि मैं तुझ से नहीं डरता, हिम्मत है तो सामने आओ।
“मैं तुझे कह रहा हूं कि मैं तुझ से नहीं डरता, हिम्मत है तो सामने आओ।
जैसे-जैसे वह बोल रहा था वैसे-वैसे वह परछाई छोटी होने लगी और उससे दूर होने लगी।
….. और छोटी होती रही और धीरे-धीरे परछाई बंद हो गई।
बिल्कुल ऐसा ही हमारी जिंदगी में भी होता है हमारे अंदर जितने भी डर है उस सब जितना डरते हैं हम उतना ही छोटे होते चले जाते हैं और वो डर उतने ही बड़े होते चले जाते लेकिन अगर हम अपने अंदर के डर से नहीं डरते उसका सामना करते तो दुनिया का कोई भी डर या मुसीबत ऐसी नहीं है की जिसका हम सामना न कर सकें।
कॉन्क्लुजन –
मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी हो उससे डरो नहीं बल्कि मुसीबत का मुलाबला करो । दुनिया का कोई भी डर या मुसीबत ऐसी नहीं है की जिसका हम सामना न कर सकें। दुनिया में ऐसी कोई भी प्रॉब्लम नहीं है कि जिसका हम सामना न कर सकें।
अंत में हम बस यही कहना चाहेंगे कि अगर अभी भी कोई ऐसी समस्या है जिसका कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं या आप किसी ऐसी समस्या या किसी चिंता से घिर गए हैं और काफी कोशिसो के बावजुद भी आपको कोई समाधान नहीं दिख रहा है तो आप अधिक जानकआरी के लिए यहाँ क्लिक करें।
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