क्या आकर्षण का नियम सच में काम करता है? | Kya Law of Attraction Sach Me Kaam Karta Hai
दोस्तों आपने एक हिंदी फिल्म का ये बहुत ही मशहूर डायलॉग ज़रूर सुना होगा- “अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है”।
लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन (Law of Attraction) आकर्षण का नियम इसी सिद्धांत के आधार पर काम करता है। ये वो सिद्धांत है जो कहता है कि आपकी सोच वास्तविकता बनती है। विचार ही चीज़ें बन जाते हैं। उदाहरण के लिए: अगर आप दृढ़ हैं कि आपके पास बहुत पैसा है तो सचमुच आपके पास बहुत पैसा हो जाता है, अगर आप दृढ़ हैं कि मैं हमेशा गरीबी में ही जीता रहूं, तो यह भी सच हो जाता है।
शायद सुनने में अजीब लगने पर यह एक सार्वभौमिक सत्य है। एक सार्वभौमिक सत्य- यानी हम अपनी सोच के दम पर जो चाहें वो बन सकते हैं। और ये कोई नई खोज नहीं है भगवान बुद्ध ने भी कहा है “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है।”
स्वामी विवेकानंद ने भी यही बात कही है –
” हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं और वे दूर तक जाते है।”
पर इतनी बड़ी बात को इतनी आसानी से मानना बहुत कठिन है। आपके मन में इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ सकते हैं। और अब पर हम कुछ इसी तरह के सवालों का समाधान जानने की कोशिश करेंगे। आज का यह लेख इस विषय पर सबसे ज्यादा पढ़े गए लेखों में से एक “आकर्षण का नियम ” का हिंदी अनुवाद है। इसे स्टीव पावलीना (Steve Pavlina) ने लिखा है।
आकर्षण के नियम (THE LAW OF ATTRACTION) का सिद्धांत
लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन (Law of Attraction) आकर्षण का नियम या आकर्षण का सिद्धांत यह कहता है कि आप अपने जीवन में उस चीज को आकर्षित करते हैं जिसके बारे में आप सोचते हैं। आपकी प्रबल सोच हकीक़त बनने का कोई ना कोई रास्ता निकालता है। लेकिन Law of Attraction कुछ ऐसे प्रश्नों को जन्म देता है जिनका उत्तर आसान नहीं है।
मैंने अपने अध्ययन के आधार पर ये पाया है कि Law of Attraction किस कारण से नहीं है बल्कि इससे यह है कि Law of Attraction को objectifity (वस्तुनिष्ठ वास्तविकता) में कैसे लागू करते हैं। यहाँ ऐसे ही कुछ समस्याग्रस्त प्रश्न दिए गए हैं। तो यहाँ उन कुछ सामान्य प्रश्नों को लिया गया हैं जो मुझे विविन्न श्रोतो से लोगो ने पूछे हैं जो कि इस प्रकार हैं –
क्या होता है जब लोगों की मंशा (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) संघर्ष करती है, जैसे कि दो लोग एक ही पदोन्नति के बारे में आश्वस्त हैं, जबकि एक ही स्थान खाली है?
क्या छोटे बच्चे, या जानवरों की भी मंशा काम करती है?
अगर मैं अपना रिश्ता अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरा / मेरी जीवनसाथी इस पर ध्यान नहीं देती, तो क्या होगा?
ये प्रश्न Law of Attraction की संभावना को कमज़ोर बनाते हैं। कभी-कभी Law of Attraction में विश्वास करने वाले लोग इसे justify करने के लिए कुछ ज़्यादा ही आगे बढ़ जाते हैं।
उदाहरण के लिए, वे कहते हैं कि बच्चे के साथ ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने अपने पिछले जन्म में इसके बारे में सोचा था। भाई, ऐसे तो हम किसी भी चीज़ को समझा सकते हैं, पर मेरी नज़र में तो ये तो जान छुड़ाने वाली बात होगी।
मैं औरों द्वारा दिए गए इन सवालों के जवाब से कभी भी संतुष्ट नहीं हुआ और यदि आकर्षण के नियम में विश्वास करना है तो इनका उत्तर जानना महत्वपूर्ण है। कुछ पुस्तकें इनका उत्तर देने का प्रयास ज़रूर करती हैं पर निश्चित स्पस्ट उत्तर नहीं मिलता. पर व्यक्तिपरक वास्तविकता (व्यक्ति – सूक्ष्म वास्तविकता) की अवधारणा में इसका सही उत्तर ढूंढा जा सकता है।
व्यक्तिपरक वास्तविकता एक विश्वास प्रणाली (Belief System) है जिसमें
(1) सिर्फ एक चेतना (चेतना) है,
(2) आप ही वो चेतना हैं,
(3) हर एक चीज़, हर एक व्यक्ति, जो वास्तविकता में है वो आप ही की सोच का परिणाम है।
शायद आपको आसानी से दिखाई न दे पर व्यक्तिपरक वास्तविकता (subjective reality) Law of Attraction के सभी मुश्किल सवालों का बड़ी सफाई से जवाब देती है। मैं समझाता हूँ ….
व्यक्तिपरक वास्तविकता में केवल एक चेतना होती है – आपकी चेतना।
इसलिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में इरादों का एक ही श्रोत होता है -आप ।
आप चाहे ही वास्तविकता में समस्त लोगों को आते-जाते हों, बात करते हैं, वह सभी आपकी चेतना के भीतर विद्यमान होते हैं। आप जानते हैं कि आपके सपने इसी तरह काम करते हैं, लेकिन आप ये नहीं जानते कि आपकी जागृत वास्तविकता एक तरह का सपना ही है। वो सिर्फ़ इसलिए सच लगता है क्योंकि आप विश्वास करते हैं कि वो सच है।
उम्र और कोई भी जिससे आप मिलते हैं वो आपके सपने का हिस्सा हैं, आपके अलावा किसी और की कोई मंशा नहीं हो सकती।सिर्फ आप ही की मंशाएं हैं। पूरे ब्रह्मांड में आप अकेले विचार वाले व्यक्ति हैं।
यह अनिवार्य है कि व्यक्तिपरक वास्तविकता को “आप” को अच्छे से परिभाषित किया जाए। “आप”आपका शरीर नहीं है। “आप” आपका अहम् नहीं है. मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप एक चेतन शरीर हैं जो अचेतन मशीनों के बीच घूम रहे हैं। यह तो व्यक्तिपरक वास्तविकता की समझ के बिलकुल उलट है।
सही दृष्टिकोण यह है कि आप एक अकेली चेतना में सारी वास्तविकता घट रही है। कल्पना कीजिए कि आप कोई सपना देख रहे हैं।
उस सपने में आप वास्तव में क्या हैं ?
क्या आप वही हैं जो आप खुद को सपने में देख रहे हैं?
नहीं, बिलकुल नहीं, वो तो आपके सपने का अवतार है। आप तो सपना देखने वाला व्यक्ति हैं.पूरा सपना आपकी चेतना में होता है। सपने के सारे परिणाम आपकी सोच के परिणाम होते हैं, जिसमें आपका खुद का अवतार भी शामिल है। यदि आप lucid dreaming (लुसिड ड्रीमिंग ) देखना सीख लें तो आप अपने सपने में ही अपने अवतार बदल सकते हैं। lucid dreaming (लुसिड ड्रीमिंग ) में आप वह हर एक चीज कर सकते हैं, जिसके बारे में आप यकीन कर सकते हैं।
यहाँ हम बात कर रहें है kya law of attraction sach me kaam karta hai , तो भौतिक वास्तविकता (physical reality) इसी तरह से काम करती है। यह ब्रह्माण्ड आपके स्वप्न के ब्रह्माण्ड की तुलना में कहीं घना है, इसलिए यहाँ परिवर्तन धीरे-धीरे होता है। इस वास्तविकता पर भी आपके विचारों के अनुरूप होती है, ठीक वैसे ही जैसे आपके सपने आपकी सोच के अनुरूप होते हैं।
“आप” वह सपने देखने वाले हैं जिनके सपने में यह सब घटित हो रहा है। कहने का मतलब यह एक भ्रम है कि और लोगों की मंशा है, वो तो बस आपकी सोच का परिणाम हैं। बेशक, यदि आप दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि औरों के इरादे हैं, तो आप अपने लिए ऐसा ही सपना बनाएंगे। पर अंततः वो एक भ्रम है।
तो आइए देखते हैं कि सब्जेक्टिव रियलिटी कैसे लॉ ऑफ अट्रैक्शन के कठिन प्रश्नों का उत्तर देती है-
क्या होता है जब लोगों की मंशा (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) संघर्ष (conflict) करते हैं, जैसे कि दो लोग एक ही प्रमोशन के बारे में मजबूत होते हैं हैं, जबकि एक ही जगह खाली है?
आप अकेले ही ऐसे व्यक्ति हैं जिनके इरादे हैं, यह महज एक आंतरिक संघर्ष (इंटरनल conflict) है – आपके भीतर का।
आप स्वयं उस विचार को जन्म दे रहे हैं कि दोनों व्यक्ति एक ही स्थिति चाहते हैं। लेकिन आप ये भी सोच रहे हैं कि एक ही व्यक्ति को यह पद मिल सकता है। यानी आप प्रतियोगिता का इरादा कर रहे हैं। यह पूरी स्थिति आपने ही बनाई है। आप प्रतिस्पर्धा में विश्वास करते हैं, इसलिए आपके जीवन में वही घटता है।
संभवतः आपके पहले से ही कुछ विश्वास (विचार और इरादे) है कि किसको पदोन्नति मिलेगी, ऐसे में आपकी उम्मीद बनेगी। पर शायद आप की ये धारणा हो कि जीवन अनफेयर है, अनिश्चित है, तो ऐसे में आपको कोई आश्चर्य मिल सकता है क्योंकि आप वही करने का इरादा रखते हैं। आपके यथार्थ में एक अकेला इरादा होना आपके कंधे पर एक भारी जिम्मेदारी है। आप ये सोच कर की दुनिया अनिश्चित है, अनुचित है, आदि, अपनी वास्तविकता का नियंत्रण छोड़ सकते हैं, पर आप अपनी जिम्मेदारी नहीं छोड़ सकते।
एक बात मन लें कि आप इस ब्रह्माण्ड में अपनी क्रिया कलापो/ स्थिति के एक मात्र रचयिता हैं। यदि आप युद्ध, गरीबी, बीमारी, आदि के बारे में सोचेंगे तो आपको यही देखने को मिलेगा। यदि आप शांति, प्रेम, ख़ुशी के बारे में सोचेंगे तो आपको ये सब वास्तविकता में होते हुए नज़र आएंगे। जब आप भी किसी चीज़ के बारे में दृढ़ होते हैं, तो उस सोच को वास्तविकता में प्रकट होने का इरादा करते हैं।
क्या छोटे बच्चों या जानवरों की भी इंटेंशन्स काम करती है ?
नहीं , यहाँ तक की आपके शरीर की भी कोई इंटेंशन नहीं होती है —सिर्फ आपके कांशसनेस की इंटेंशन्स होती हैं , आप अकेले हैं जिसकी इंटेंशन्स हैं , इसलिए वो होता है जो आप बच्चे या जानवरों के लिए सोचते हैं। न्डेफिनेड हर एक सोच एक इंटेंशन है , तो आप जैसे भी उनके बारे में सोचेंगे यथार्थ में उनके साथ वैसा ही होगा न्डेफिनेड ये ध्यान में रखिये की बिलिफ्श्स हिरार्चिकाल (अधिक्रमिक) हैं।
इसलिए यदि आपकी ये बिलीफ की वास्तविकता अनिश्चित है अनकंट्रोलबल है ज्यादा शशक्त है तो ये आपकी अन्य बीलिफ्स जिसमे आपको कम यकीन है को दबा देंगी न्डेफिनेड आपके सभी विचारों का संग्रह ये तय करता है की आपको हकीकत में क्या दिखाई देगा।
यदि किसी के साथ कुछ गलत होता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि उसने ऐसा इरादा किया था ?
नहीं, बल्कि इसका यह मतलब है कि आपने ऐसा इन्टेन्ड किया था। आप किसी भी चीज के बारे में सोच कर उसे वास्तविकता में होने के लिए इन्टेन्ड करते हैं। आप जितना ज्यादा ही किसी चीज के बारे में सोचेंगे, उतना ही हकीकत में आप उसका विस्तार देखेंगे।
आप जिस बारे में भी सोचते हैं, उसका ही विस्तार होता है और वो बस सिर्फ आप तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि पूरे ब्रह्माण्ड में फ़ैल जाती है और वैसा ही हो जाता है। इसलिए हमेशा अच्छी बातों के बारे में सोचिये। दूसरे शब्दों में आप हमेशा पॉजिटिव एप्रोच, पॉजिटिव ऐटिटूड रखिये ताकि आपको अच्छा रिजल्ट मिल सके।
अगर मैं अपनी रिलेशन अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरी स्पाउस इस पर ध्यान नहीं देती, तो क्या होगा ?
यह कनफ्लिक्ट का एक और उदाहरण है। आप एक इंटेंशन अपने अवतार की कर रहे हैं और एक अपने स्पाउस की , तो जो एक्चुअल इंटेंशन पैदा होती है वो कनफ्लिक्ट की होती है।
इसलिए आप जो एक्सपीरियंस करते हैं , डेपेंडिंग योर हायर आर्डर बीलिफ्स वो आपके स्पाउस के साथ आपका कनफ्लिक्ट होता है। अगर आपकी थॉट्स कॉन्फ्लीक्टेड हैं तो आपकी रियलिटी भी कॉन्फ्लीक्टेड होगी।
इसीलिए अपने विचारों की जिम्मेदारी लेना इतना महत्त्वपूर्ण है। तो यदि आप दुनिया में शांती देखना चाहते हैं तो अपनी रियलिटी में हर एक चीज के लिए शांती इन्टेन्ड कीजिये।
यदि आप लोविंग रिलेशनशिप ( loving relationships) एन्जॉय करना चाहते हैं तो सभी के लिए लोविंग रिलेशनशिप्स ( loving relationships) इन्टेन्ड कीजिये।
यदि आप ऐसा सिर्फ अपने लिए ही इसकी मांग करते हैं और दूसरों के लिए नहीं तो इसका मतलब है की आप कनफ्लिक्ट डिवीज़न सेपरेशन चाहते हैं या इसका मतलब है कि आप उसी की माँग कर रहे हैं और रिजल्ट में आप वही एक्सपीरियंस करेंगे और आपको वही प्राप्त होगा।
अगर आप किसी चीज के बारे में बिलकुल ही सोचना छोड़ देंगे तो क्या वो गायब हो जाएगी?
हाँ , टेक्निकली वो गायब हो जाएगी, लेकिन प्रक्टिकली आप जिस चीज को क्रिएट कर चुके हैं उसे अनक्रिएट या डिलीट करना यानि की मिटाना लगभग असंभव है। आप उन्ही समस्यों पर फोकस कर के उन्हें बढाते जायेंगे, पर जब आप अभी जो कुछ भी वास्तविकता में अनुभव कर रहे हैं उसके लिए खुद को 100% रेस्पोंसिबल मानेंगे तो आप में वो शक्ति आ जाएगी जिससे कि आप अपने विचारों को बदलकर (चेंज करके) अपनी वास्तविकता को आसानी से बदल सकते हैं और जो चाहें वो बन सकते हैं।
ये सारी वास्तविकता आप ही की बनाई हुई है। उसके बारे में अच्छा फील करिए। विश्व की रिचनेस के लिए ग्रेटफुल रहिये और फिर अपने डिशन्स और इंटेंशन्स से उस रियलिटी का निर्माण करना शुरू कीजिये जो आप सच -मुच चाहते हैं .उस बारे में सोचिये जिसकी आप इच्छा रखते हैं और जो आप नहीं चाहते हैं उससे अपना ध्यान हटाइए। ये करने का सबसे आसान और नेचुरल तरीका है अपने इमोशंस पर ध्यान देना।
(kya law of attraction sach me kaam karta ha ) का निष्कर्ष /कन्कलूजन
क्या आकर्षण का नियम सच में काम करता है? के निष्कर्ष में आगे हम जानेंगे कि अपनी इच्छाओं के बारे में सोचना आपको खुश करता है और जो आप नहीं चाहते हैं उस बारे में सोचना आपको बुरा फील कराता है। जब आप नोटिस करें की आप बुरा फील कर रहे हैं तो समझ जाइये की आप किसी ऐसी चीज के बारे में सोच रहे हैं जो आप नहीं चाहते हैं। वापस अपना फोकस उस तरफ ले जाइये जो आप चाहते हैं , आपकी इमोशनल स्टेट बड़ी तेजी से इम्प्रूव होगी। जब आप बार बार ऐसा करने लगेंगे तब आपको पहले धीरे -धीरे और बाद में बड़ी तेजी से अपनी फिजिकल रियलिटी में भी बदलाव आना नज़र आएगा।
मैं भी आपकी कांशसनेस का ही परिणाम हूँ। मैं वैसे ही करता हूँ जैसा की आप मुझसे एक्सपेक्ट करते हैं। यदि आप मुझे एक हेल्पफुल गाइड के रूप में एक्सपेक्ट करते हैं , तो मैं वैसा ही बन जाऊंगा। यदि आप मुझे गहन और व्यवहारिक होना एक्सपेक्ट करते हैं तो मैं वैसा बन जाऊंगा।
यदि आप मुझे कन्फ्यूज्ड और बहका हुआ एक्सपेक्ट करते हैं तो मैं वैसा बन जाऊंगा। पर मैं ऐसा कोई “मैं नहीं हूँ जो आपसे अलग है। मैं बस आपकी क्रिएशन्स में से एक हूँ। मैं वो हूँ जो आप मेरे लिए इन्टेन्ड करते हैं और कहीं ना कहीं आप पहले से ये जानते हैं की मैं ऐसा ही हूँ। इसलिए आपको मैं ऐसा ही लगूंगा जैसा कि आपने मेरे बारे में धारणा बना रखी है या आपने मान रखा है।
जीवन में आप बहुत तरक्की करें, जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहें!
बेस्ट ऑफ़ लक,
आपका मित्र, लाइफ एंड बिज़नेस कोच/ गुरु!
हैरी,