अपने अंदर के डर को कैसे खत्म करें? | Apne Andar Ke Dar ko Kaise Khatm Karen?

इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि अपने अंदर के डर को कैसे खत्म करें? ( Apne Andar Ke Dar ko Kaise Khatm Karen)

देखिये, आपको किसी भी तरीके का डर हो,
आपको कोई भी सिचुएशन एंजायटी देती हो,
आपको किसी भी तरीके का ऑब्सेशन हो,

तो ऐसी सिचुएशन में आपको किस तरीके से अपनी इस परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। मैं यहाँ सभी मुख्य, कारगर एवं प्रैक्टिकल तरीकों पर चर्चा करूंगा, जिससे आप अपने अंदर के डर को खत्म कर पाएंगे। आप अपनी सारी परेशानियों से बाहर आ सकते हैं।

आइये शुरू करते हैं,

अपने अंदर के दर को कैसे खत्म करें ( Apne andar ke dar ko kaise khatm karen) के अंतर्गत पहला तरीका है –

सबसे पहला तरीका यह है कि आपके जो भी डर हैं, जो भी आपकी चिंताएं हैं, उनको आप डिस्प्यूट करें।

यानी कि आपने यह समझने की कोशिश करें कि जो भी आपके मन में डर के विचार आ रहे हैं, जो भी आपकी चिंताएं हैं, आखिरकार क्या एविडेंस है कि वह सही हैं। कहने का मतलब कि क्या वह वास्तव में हैं ?

जब आप किसी भी विचार को एविडेंस/प्रूफ से देखते हैं, तो आपको पता चल जाता है कि आपका मन की वह महज कल्पना थी। क्या वह एक रियलिस्टिक सिचुएशन है? कहते हैं ना, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।

हमारा मन क्या करता है? असल में यह आसपास से बहुत सारी जानकारी इकट्ठा करता है। हमारे जो इकट्ठे हुए अनुभव हैं, उनके आधार पर उसे कल्पना करने की आदत है। वह असम करता रहता है और असम कर-करके बहुत सारे थॉट्स आपको देता रहता है। अब जो भी असम थॉट होते हैं, ज़रूरी नहीं है कि वह रियलिटी हो।

तो एक तरीका यह होता है कि हम रियलिटी को चेक करने के लिए फीलिंग्स वर्सेस फैक्ट्स की चेकिंग करें। जैसे हमें जो फील हो रहा है, क्या वह एविडेंस-बेस्ड है या बस हमें ऐसा फील हो रहा है क्योंकि हमारे सिस्टम में ऐसी कोई इनफॉरमेशन स्टोर थी और वहां से कुछ इस तरीके का थॉट क्रिएट होकर हमारे सामने आया है।

तो एक तो होती है फैक्ट चेकिंग तकनीक, जिसमें आप फैक्ट्स देखते हैं। क्योंकि फीलिंग्स पर्सनल होती हैं और फैक्ट्स यूनिवर्सल होते हैं। तो जब आप फैक्ट चेकिंग करते हैं, तो आपको पता चल जाता है कि यह तो जस्ट मेरे मन की बुनावट ताना-बाना है। रियलिटी इससे बिल्कुल अलग है।

apne andar ke dar ko kaise khatm karen

 

दूसरा तरीका होता है, सिचुएशन को एक्सपोज करना। यानी कि सिचुएशन को फेस करना।

अब जब आप किसी भी सिचुएशन को फेस करते हैं, तो फेस करना इतना आसान नहीं होता। क्योंकि अगर इतना आसान होता, तो फिर आपको डर ही क्यों होता, चिंता ही क्यों होती। लेकिन फेस करने की भी कुछ नियम होते हैं। सबसे पहले तो डिसीजन लेना कि मुझे मुक्ति चाहिए। अब जब आप उसे फेस करेंगे, तो सबसे पहले आप ऑब्जर्वेशनल मेथड को अपनाएं।

यानी कि आप देखिए कि इस सिचुएशन में, जिससे आप डर रहे हैं, कोई दूसरा है, जो सिचुएशन को आसानी से हैंडल कर पा रहा है। आप ऑब्जर्वेशन से लर्निंग करें। आप देखें। आप किसी व्यक्ति का भी साथ ले सकते हैं। कोई भी ऐसा इंसान, जो आपको हेल्प करने के लिए तैयार हो। आप उसे देखें कि वह सिचुएशन में क्या कर रहा है।

और जब हम देखें, for Example, जैसे किसी इंसान को कुत्ते (Dog) से डर लगता है। वह डॉग (Dog) के पास नहीं जा सकता। तो आप देखिए कि दूसरा इंसान है, जो डॉग के बहुत क्लोज जा रहा है, उसे प्यार भी कर रहा है, उसे गोद में भी उठा रहा है। यानी कि ऑब्जर्वेशनल लर्निंग से हम सीख सकते हैं कि डॉग में प्रॉब्लम नहीं है। डॉग को तो लोग देखो, ऐसे प्यार से चलते हैं। गोद में भी उठा लेते हैं।

तो डॉग में प्रॉब्लम नहीं है, हमारे दिमाग में है। यानी कि हमारे अंदर कुछ ऐसा बिलीफ, कुछ ऐसा डर है, जिसकी वजह से हमें डॉग से डर लग रहा है। तो यहां पर हम लर्निंग कर सकते हैं।

फिर उसके बाद, हम कांबिनेशन लर्निंग करें।

मतलब, जिस इंसान ने हमें डेमो दिया है, इस तरीके का, जिससे हमने ऑब्जर्वेशनल लर्निंग करी है। तो हम उसके साथ मिलकर या किसी और इंसान के साथ मिलकर भी, जो कि आपके साथ इस तरह से आपको हेल्प करने के लिए तैयार हो।

आप कांबिनेशन रेडी करें। मतलब, उस इंसान से आप हेल्प मांगें कि इस बार जब डॉग के पास जाएं, तो आपको भी लेकर जाए और आपको भी हेल्प करें। धीरे-धीरे उसे टच करने की कोशिश करें।

तो वहां पर, यह कांबिनेशनल लर्निंग से क्या होगा?
एक तो आपको साहस बना रहेगा कि कोई है ऑलरेडी, जो सिचुएशन को बहुत अच्छी तरीके से फेस करता है। तो अगर कुछ भी 19-20 हुआ, तो यह इंसान मुझे संभाल लेगा।

तो अपने अंदर के डर को कैसे खत्म करें ( Apne andar ke dar ko kaise khatm karen)के अंतर्गत हमने पहले ऑब्जर्वेशनल लर्निंग करी। उसके बाद, कांबिनेशनल लर्निंग करी। फिर अंत में, आपको सोलो लर्निंग करनी है। क्योंकि अंत में तो आपको अकेले ही फेस करना है।

हर इंसान हमेशा तो आपके साथ नहीं रहेगा। तो जब आप कांबिनेशनल लर्निंग कर लेते हैं, फिर धीरे-धीरे हिम्मत जुटाकर सोलो लर्निंग करें। यानी कि अब आप खुद धीरे-धीरे डॉग के पास जाएं। उसे टच करने की कोशिश करें। लेकिन धीरे-धीरे। जब आप ऐसा करेंगे, तो तीन फेस में आप देखेंगे कि एक्सपोज करने से आपका डर चला जाएगा। यह भी एक तरीका होता है डर से मुक्ति पाने का।

 

तीसरा तरीका होता है इमेजिनेशन टेक्निक्स।
जिसमें कि आप यह कल्पना करें कि यह जो आपका डर है, जो कि आपकी चिंताएं हैं, इससे आप मुक्त हो गए हैं। इसमें आपको फ्रीडम मिल गया है।

आप अब हर हाल में इस डर से फ्री होना चाहते हैं और फ्री होने के बाद, आपकी लाइफ कैसी होगी?

जब आप यह करेंगे, यह इमेजिन करेंगे कि आप इस प्रॉब्लम से फ्री होने के बाद अपनी लाइफ को कितने अच्छे तरीके से एंजॉय कर रहे होंगे। क्या-क्या बेनिफिट्स मिलेंगे आपको?

थोड़ी हिम्मत रखकर सिचुएशन को एक्सपोज करने के इस डर से मुक्ति मिलने के बाद, आपकी लाइफ कैसे बदल जाएगी। जब आप यह इमेजिन करेंगे, कल्पना करेंगे।

अब यह कल्पना करना अच्छा है। मन अपने आप ही बिना आपकी जरूरत के कोई कल्पना कर रहा है, तो वह आपके लिए गलत हो सकता है। लेकिन जब आप पूरी क्लैरिटी के साथ मन की इमेजिनेशन फीचर का इस्तेमाल करेंगे कि मुझे यह कल्पनाएं करनी हैं, क्योंकि यह मेरे लिए सही हैं, जरूरी हैं, अच्छी हैं। तो एक तरफ कल्पना आपके लिए अभिशाप बन रही थी। वहीं दूसरी तरफ, कल्पना आपके लिए वरदान बन जाएगी।

क्योंकि अपने आप में कुछ भी अभिशाप या वरदान नहीं होता। सब कुछ किस तरीके से उसे किया जाता है, हैंडल किया जाता है, कौन हैंडल कर रहा है, उसके बेसिस पर यह डिसाइड होता है कि वह आपके लिए गलत साबित होगा या सही।

तो कल्पना में प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन उल्टी-सीधी कल्पनाओं में प्रॉब्लम है। तो अब हम कल्पना का ही सहारा लेंगे। इमेजिन करेंगे। लेकिन हम वही इमेजिन करेंगे कि उसी से या एंजायटी से, किसी भी तरीके के डर से मुक्ति के बाद हमारी जिंदगी कैसी होगी। हम खुलकर अपनी जिंदगी को जी पाएंगे। और देखेंगे कि अगर कभी भी वह सिचुएशन हमें याद आ गई, कोई विचार हमें याद आ गया, कोई भी डर याद आ गया।

लेकिन फिर भी, क्योंकि अब डर खत्म हो गया है, तो हम कितना फ्रिली अपनी लाइफ को जी रहे हैं। ऐसा कभी नहीं होगा कि आपके मन में कोई विचार नहीं आ सकता। वह आ सकता है। क्योंकि मेमोरी आपकी डिलीट थोड़ी ना हो जाएगी। आपको ठीक होने के बाद भी याद रहेगा कि कभी मुझे ऐसी प्रॉब्लम थी। और विचार कोई भी आ सकता है।

लेकिन विचार में जब डर ही नहीं है, तो फिर वह किसी काम का नहीं है। जैसे यह शरीर है। शरीर से तभी तक काम लिया जा सकता है, जब इसमें जान है। जान निकल गई, तो शरीर किसी काम का नहीं है। ऐसे ही विचार में जब तक एहसास जुड़ा हुआ है, तब तक यह विचार ताकत वाला है।

जैसे ही उसका एहसास निकल गया, तो विचार कुछ नहीं कर सकता। तो यहां पर, आप अपनी कल्पनाओं में ऐसे इमेजिन करें। अपनी लाइफ को। इससे भी आपके अंदर हिम्मत बनती है। और आप डर को फेस करने के लिए तैयार होते हैं।

 

इसके अलावा, जो चौथा तरीका होता है, सिंपल सा ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। मेडिटेशन करें।

अगर आप अभी डिस्प्यूट भी नहीं कर पा रहे हैं, अच्छे से। आप उसे फेस करने के लिए तैयार नहीं हैं। आपकी कल्पनाएं भी काम नहीं कर रही हैं। तो आप सिंपल सा ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। मेडिटेशन करें।

अगर ध्यान में मन नहीं लग रहा, तो कोई बात नहीं। गेजिंग मेडिटेशन अपनाएं। यानी दीवार पर कोई स्पॉट चुनें और उसे बिना पलक झपकाए देखें। गाइडेड मेडिटेशन करें। दिमाग को आराम करने दीजिए। कुछ समय लगेगा, लेकिन धीरे-धीरे दिमाग स्थिर होना शुरू करेगा। माइंडफुलनेस प्रैक्टिस और ब्रीदिंग एक्सरसाइज से आपकी एनर्जी बैलेंस होनी शुरू होगी।

इसके बाद, आप अपने डाइट पर ध्यान दें। सही खान-पान भी आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। आपके डर या एंजायटी का बहुत गहरा संबंध आपकी डाइट से हो सकता है। इसलिए खाने-पीने की आदतों को सुधारें। अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर बनाएं। अपने आसपास के लोगों की कंपनी, जॉब अपॉर्च्युनिटी, और टीवी प्रोग्राम जैसे जो डर को बढ़ाते हैं—उन्हें कट ऑफ करें।

जब आप हर तरीके से, हर क्षेत्र में ध्यान रखेंगे, तो देखेंगे कि कोई भी मनोवैज्ञानिक समस्या आपके जीवन में टिक नहीं पाएगी। वह धीरे-धीरे चली जाएगी। इस प्रक्रिया में आप एक बेहतरीन इंसान बन जाएंगे।

आप अपनी जिंदगी को अच्छे तरीके से जी पाएंगे। तो यही वे तरीके हैं, जिनसे आप अपने जीवन को पूरी तरह से बदल सकते हैं। आपके जीवन को बदलना आपके ही हाथों में है। बस जिम्मेदारी ले लीजिए। जिस दिन आपने यह जिम्मेदारी ले ली, उसी दिन से आपकी जिंदगी बदलनी शुरू हो जाएगी। कोशिश करके देखिए। आपको जिंदगी जीने का असली मजा आएगा। अपना ख्याल रखिए और हमेशा ख़ुश रहें।

 

सार (Conclusion )-
अपने अंदर के दर को कैसे खत्म करें ( Apne andar ke dar ko kaise khatm karen) साधारण शब्दों में सार-

अपने अंदर के डर को खत्म करने का सबसे पहला कदम है उसे समझना। माल लीजिये, आपको कुत्ते से डर लगता है। आप सोचते हैं कि वो आपको काट लेगा, लेकिन सच तो ये है कि हर कुत्ता खतरनाक नहीं होता। एक बार सोचिये, क्या आपने खुद देखा है कि हर कुत्ता काट रहा हो? शायद नहीं. तो अपने डर को ऐसे चैलेंज करके सोचिए, क्या ये डर सच में जरूरी है? ये एक “तथ्य जांच” करने का तरीका है जो आपको अनावश्यक डर को कम कर देता है।

दूसरी बात, अपनी समस्या से भागिएगा मत। उसका सामना करिये. अगर आप किसी चीज़ को अवॉयड करते हैं, तो वो डर और बड़ा लगता है। मान लीजिये, आपको स्टेज पर बोलने से डर लगता है। पहले एक छोटी सभा में बोलना शुरू करें, फिर धीरे-धीरे बड़ी संख्या में दर्शकों के सामने। उदाहरण के तौर पर, अगर आप किसी स्कूल के समारोह में भाषण नहीं दे पाते, तो घर पर अपने दोस्तों या परिवार के साथ अभ्यास करें। धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ेगा।

तीसरा, अपनी कल्पना का सही तरीके से उपयोग करें। मान लीजिए, आप सोचते हैं कि अगर आप डर से आगे बढ़ जाएंगे, तो जिंदगी कितनी आसान हो जाएगी। सोचिए कि अगर आप कुत्ते का डर ख़तम कर देंगे, तो पार्क में घूमने का मज़ा ले लेंगे। ये पॉजिटिव इमेजिनेशन आपको हिम्मत देगा और डर को फेस करने की एनर्जी देगा।

चौथी और आसान चीज़ है श्वास व्यायाम और ध्यान। जब कभी चिंता हो या डर लगे, तो बस अपनी सांस पर ध्यान देना शुरू कर दीजिए। धीरे-धीरे लंबी सांस लें और छोड़ते रहें। ये तकनीक आपके दिमाग को शांत कर देती है। मान लीजिये, किसी महत्वपूर्ण मीटिंग के पहले आपको तनाव हो रहा है, तो एक कोने में बैठ कर थोड़ा ब्रीदिंग एक्सरसाइज करके रिलैक्स हो जाइये।

आखिरी बात, अपनी जीवनशैली और आस-पास का माहौल सुधारना जरूरी है। आप कैसा खाना खा रहे हैं, किसके साथ वक्त बिता रहे हैं, और क्या देख रहे हैं—सब चीजों का असर होता है। अच्छे लोगों के साथ रहियेगा, सेहतमंद खाना खाइयेगा, और नकारात्मक चीज़ों से बचें।

तो अंत में हम ये कहना चाहेंगे कि ये स्टेप्स सरल हैं, लेकिन बहुत प्रभावी हैं। बस इन्हें ईमानदारी से फॉलो करें और धीरे-धीरे आप अपने डर को कंट्रोल कर लेंगे। अगर आपकी भी कोई ऐसी समस्या है जिसका कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं या किसी ऐसी समस्या से घिर गए हैं और काफी कोशिसो के बावजुद भी आपको कोई समाधान नहीं दिख रहा है तो

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आपका सच्चा दोस्त एवं साथी।
Dr. Harry Bhagria
Author, Life, Career & Business Coach

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