डर के आगे जीत है, कैसे? | Dar Ke Aage Jeet Hai in Hindi

 

दोस्तो, हम सभी ने यह सुना है कि “डर के आगे जीत है”

लेकिन सबसे पहले यह भी समझना जरूरी है कि डर जिंदगी का एक हिस्सा है।

कुछ लोग इस डर से प्रेरित होकर अपने जीवन में सबसे अच्छा कर जाते हैं, जबकि कुछ लोग इसी डर की वजह से कुछ नहीं कर पाते।

 

डर के आगे जीत है।

दोस्तो, ये वाक्य हम रोज न जाने कितनी बार सुनते है।

इसी एक वाक्य में सफलता का पूरा फार्मूला है। एक आम इंसान में  प्रतिभा, कड़ी मेहनत, बड़े सपने देखने वाला, फोकस ये सारे गुण तो हो सक्यते हैं मगर एक और गुण भी चाहिए जिसके बिना कोई भी सफल नहीं हो सकता और वो है, वह अपने डर को जीत पाना।

यही डर जब किसी व्यक्ति पर हावी हो जाती है, तो वह निर्णय लेने में असमर्थ हो जाता  है, जैसे कि –

  • किसी को इंटरव्यू देना हो,
  • किसी को परीक्षा देना हो या
  • फिर किसी को कोई नया काम करने का अवसर मिले

तो इसी डर के कारण, कई बार व्यक्ति अपने हुनर ​​को दिखाने का मौका खो देते हैं।

तो आइये, अब हम इसके बारे में डिटेल में बात करते हैं।

डर के आगे जीत कैसे  होती है? (  dar ke aage jeet hai in hindi )

जिंदगी में हर कदम पर नई चुनौतियां और नए अवसर आते हैं। पर डर अगर हमारे मन पर हावी हो जाए तो हम अपने आपको रोकने लगते हैं।

 

अगर साधारण शब्दों में  कहा जाए तो-

“जब तक हम डर को अपने मन से नहीं हटाते, तब तक हमारा विकास और सफलता का रास्ता भी रोक सकता है। “

बहुत बार लोग सोचते हैं कि “आगे क्या होगा?”

और बस यही सोच उन्होंने उन अवसरों से दूर कर देती है जो उनके जीवन में रंग ला सकते हैं।

इसलिए, डर को समझना और उससे निपटना जरूरी है।

 

देखिये दोस्तों, डर के आगे जीत है हिंदी में ( dar ke aage jeet hai in hindi ) के अंतर्गत अब हम जानेगे कि  हम सबके जीवन में एक ऐसा समय हमेंशा आता है जब हमारा सामना हमारे डर से जरूर होता है। इस समय अगर हम अपने डर का सामना कर विजय प्राप्त कर लें तो हमारी पूरी जिंदगी बदल सकती है।

हर इंसान के अंदर अपना एक डर होता है। जिस ने वो डर पार कर लिया, सफलता उसके कदम चूमती है।

क्या कभी ये सोचा है कि यदि महेंद्र सिंह धोनी ने ये सोच कर अपनी सरकारी नौकरी नहीं छोड़ी होती कि-

“यदि मैं सफल क्रिकेटर नहीं बन पाया तो क्या होगा ?”

क्या उसकी उस सरकारी नौकरी में वो इज़्ज़त और शोहरत होती है जो आज है?

 

इसके अलावा, यदि धीरूभाई अंबानी ने ये सोच कर पेट्रोल पंप की नौकरी नहीं छोड़ी होती कि
“अगर मैं सफल नहीं हो पाया  तो मेरा परिवार क्या खाएगा?

आप सोचिये – तो क्या आज रिलायंस कंपनी होती ?

जबाब है, बिलकुल नहीं होती।

 

डर के साथ जीना मुश्किल है और यही डर हावी होने पर उसका प्रभाव हमारी जिंदगी अच्छे तरीके से जीने से रोकता  है।

जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए, हमें अपने डर को पार करने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम डर को अपने मन से हटा देते हैं, तभी हम अपने असली हुनर ​​को दिखाते हैं और नए सफर में कदम बढ़ाते हुए आगे चलते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

तो दोस्तों, अपने डर को अपना दोस्त बनाओ, उससे लडना सीखो और हर मुश्किल को अपने दम पर पार करो। यही है जिंदगी का असली मजा और जीत का रास्ता।

 

जीवन में कभी-कभी हमें नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी हम डर के कारण ये समझते हैं और  हमें लगता है कि हम ठीक से संभल नहीं पाएंगे। लेकिन यह डर हमें आगे बढ़ने और सीखने से रोकता है। यदि हम यह सोचकर आगे बढ़ें कि हम जो भी करने का निर्णय लेंगे वह हमारी काबिलियत को और निखरेगा, हमें मजबूत करेगा और हमें एक नई दिशा में ले जाएगा, तो यही डर खुद ही हमसे दूर भाग जायेगा। इसलिए डरे नहीं बल्कि आगे बढ़ें।

 

” लहरों के डर से नौका कभी पार नही होती है “

जीवन के हर पड़ाव पर हमें नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये चुनौतियाँ कभी-कभी इतनी बड़ी होती हैं कि हमें डराती रहती हैं। डर वह मुख्य कड़ी है जो हमें असफलता और सफलता के बीच संघर्ष करने में बढ़ा पैदा करती  है।

लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि जीवन की नाव लहरों के डर पर काबू पाकर ही आगे बढ़ सकती  है। जब हम अपने मन से डर को निकाल देते हैं और उसका सामना करते हैं तो हमारा आत्म विशवास बढ़ जाता है।  इस प्रकार हम अपने जीवन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते  है।

जीवन में सफल होने के लिए हमें अपने डर का सामना करना ही पड़ता है। जिस प्रकार एक नाव समुद्र में अचानक से आयी लहरों में उछल सकती हैं, उसी प्रकार हम अपने जीवन में अनिश्चितताओं का सामना करते हैं।

डर और असफलता से सीख हमारे विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब हम डर का सामना करते हैं, तो एक तरीके से हम अपना आत्म-विश्वास बढ़ाने का काम करते हैं और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करते हैं। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, बल्कि लहरों से पार पाने की क्षमता हमारे अंदर होनी चाहिए।

इसलिए जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें अपने डर का सामना करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। जैसे-जैसे हम अपने डर पर काबू पाते हैं,  वैसे-वैसे हमारे सपने और आशाएँ नई ऊँचाइयों तक पहुँचते हैं और जीवन में सफलता पा सकते हैं।

 

“डर को मिटाना है तो ठान ले आपको वही कार्य करना है जिससे आपको डर लगता है”

इसका तो बस एक ही उपाय है डर का सामना करके डर को दूर भगाओ क्योंकि डर जब तक हमारे मन में रहता है जिंदगी भर डर ही रहता है पर जब हम उसका सामना करने लगते हैं तो वह धीरे-धीरे दूर होता जाता है।

बस हमें हिम्मत करके उसका सामना करना है और यह जिंदगी में बहुत जरूरी भी है क्योंकि जिस चीज से हम जितना ज्यादा डरेंगे जिंदगी भर हमें डरती ही रहेगी इसलिए हिम्मत करके एक बार डर से सामना करना ही पड़ेगा।

लेकिन जरा सोचिये आप किस बात से डरते है कि क्या होंगा?

मैं नही कर पाया तो ?

लेकिन ऐसा सोचना हमारे आत्मविश्वास की कमी के कारण होता है।

 

 

डर कभी भी आत्मविश्वास पर  हावी नही हो सकता

जीवन में हर कोई सफल होना चाहता है। लेकिन सफलता उसी को मिलती है जो अनंत गुणों से परिपूर्ण है। इन्हीं गुणों में से एक है आत्मविश्वास। आत्मविश्वास या मनोबल की कमी असफलता का मुख्य कारण है जो आपको अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से रोकती है।

जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है वे कुछ भी करने से डरते हैं और गलती होने का डर उन्हें हमेशा सताता रहता है। इसलिए सबसे पहले अपने अंदर का आत्मविश्वास बढ़ाएं। क्योंकि गलतियाँ आपको सीखने का मौका देती हैं।

 

जरा सोचिए, जिंदगी में आपको कुछ नया करने का मौका मिलता है, फिर आप क्या सोचते हैं ?

> इस पोजीशन में यहां बहुत आराम है।

> अगर मैं यहाँ से आगे किसी नई पोजीशन के लिए आगे बढ़ा तो  फिर पता नहीं क्या होगा?

> मैं क्यों जाऊं?

यही है आपके सीमित अस्तित्व का दायरा, इसी को अपने अंदर का डर कहते हैं। यह डर आपको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देता। इसलिए सबसे पहले इस डर को अपने मन से निकाल दें, तभी आप कुछ नया कर पाएंगे।

 

 

दोस्तों अब हम यह समझते हैं कि-

डर के आगे जीत कैसे  होती है? (  dar ke aage jeet hai in hindi )

सबसे पहले ये जाने कि यह डर कहाँ से, कैसे आता है ?

और दूसरा इस डर को दूर कैसे करते हैं?

इसको पूरा एग्जाम्पल के साथ आपको यहाँ बताया गया है इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक पूरा अवश्य पढ़े –

पहले हम यह समझते हैं डर होता क्या है और फिर मैं बताऊंगा कि डर को दूर कैसे करते हैं-

देखिये हम सब ने हमारा एक कंफर्ट जोन बना लिया है।

मान लो यह सर्कल आपका कंफर्ट जोन है इस सर्कल के अंदर जो भी चीज आती है यानी कि आपका कंफर्ट जोन के अंदर जो भी चीज आती है वह करने से आपको कभी डर नहीं लगेगा। जैसे कि दोस्तों से बातें करना, कलीग्स के साथ बातें करना।

लेकिन अगर कोई आपको बोले की स्टेज पर जाकर दो शब्द बोलो या फिर ऑफिस में सबके सामने प्रेजेंटेशन दे दो तो फिर आप घबरा जाते हो।

ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि यह सब आपके कंफर्ट जोन के बाहर है।
स्टेज पर बात करने के लिए आप कंफर्टेबल नहीं हो तो इस डर को भगाने के लिए क्या करना होगा?

 

सीधी सी बात है, अपने कंफर्ट जोन को बड़ा करो। डर अपने आप निकल जाएगा पर……
इस कंफर्ट जोन को बड़ा कैसे करें ?

 

तो अब आप तब ध्यान से समझो जो मैं आपको यहाँ बताने जा रहा हूँ।

सर्किल को बड़ा करने का सिर्फ एक और एक ही रास्ता है और वह है रिस्क लेना।

आप में से कितने लोगों को स्विमिंग आती है?

आई होप, सबको आती होगी तो अगर अपने पास्ट में जाओ और सोचो कि स्विमिंग सीखने से पहले आपको पानी से डर लगता था कि नहीं?

ऐसा कोई बंदा नहीं होगा जिसे पानी से डर नहीं लगा होगा।

पर जब हम एक्चुअल में पानी में उतरते हैं तो थोड़ी देर बाद यह दर 100% से सीधा 78% पर आ जाता है और जैसे-जैसे आप स्विमिंग सीखने जाते हो यह डर पूरा निकल जाता है यानी कि जैसे-जैसे आप पानी में कंफर्टेबल फील करने लगते हो आपका कंफर्ट जोन ऑटोमेटिक बड़ा होता जाता है और इसके साथ डर भी भाग जाता है।

दोस्तों, डर का काम ही है हमें डरना लेकिन हमारा मकसद उससे डरना नहीं बल्कि उससे मुकाबला करना और डर को हारने का जज्बा होना चाहिए।

इसलिए आपको जिस भी काम को करने से डर लगता है, तो आप जानबूझकर उसी काम को करो।

शुरुआत में आपको बहुत डर लगेगा, पर जैसे-जैसे आप उसमें कंफर्टेबल हो जाओगे वैसे -वैसे आपका डर हमेशा के लिए निकल जाएगा।

और अब अगर थोड़ा अलग एंगल से इस डर को देखते हैं तो बहुत ध्यान से  समझे तो डर नाम की कोई चीज होती ही नहीं है बल्कि यह सं हमारा वहम ही होता है।

अब आप बोलोगे कि भाई यह क्या बोल रहे हो। अभी तो डर को हटाने की बात कर रहे थे अब  बोल रहे हो कि डर होता ही नहीं है।

जी हां मैं बिल्कुल सही कह रहा हूँ कि डर सिर्फ एक वहम है, इमेजिनेशन है।

और यह इमेजिनेशन हमारे पास एक्सपीरियंस पर डिपेंड होता है जो कि हमारे सबकॉन्शियस माइंड में स्टोर होते हैं, तभी तो कोई हॉरर मूवी देखने के बाद उसे रात हमें डर लगता है।

पर उसके जस्ट एक दिन पहले रात में हमें कोई डर नहीं लगता था।

क्योंकि उस टाइम पर हमारे सबकॉन्शियस माइंड में ऐसा कुछ था ही नहीं, जिससे कि हमें डर लगे।

पर दूसरे दिन जब हमने मूवी देखी तब हमारे सबकॉन्शियस माइंड में वह भूत बैठ गया था और उससे हमें डर लगने लगा।

 

dar ke aage jeet hai in hindi में आप मेरी इस बात को अपने पास्ट एक्सपीरियंस के साथ रिलेट कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए आप देखिये, जब हम बड़े हो रहे होते हैं, तब हमारे पेरेंट्स/ हमारे घर वाले हमें बहुत सारी चीजों से डराते हैं कि यह नहीं करना वरना वह हो जाएगा

या फिर ऐसा नहीं करना वरना वैसा हो जाएगा।

यही डर धीरे-धीरे हमारे सबकॉन्शियस माइंड में स्टोर होते जाता है और इसी वजह से जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं। वैसे वैसे हमारा डर भी बड़ा होता जाता है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस टाइम पर बचपन में इतनी समझ/ बुद्धि नहीं होती है कि घरवाले जो बोल रहे है, वह सही है या गलत।  इस बात को परखने का ज्ञान नहीं होता कि किसी बात को चेक कर सके।

इस तरह हमारा सबकॉन्शियस माइंड सबको सच मान लेता है और फिर जिंदगी भर  हमें डराता रहता है।

भाई, उदहारण के लिए देखो कि कोई 1 साल का छोटा बच्चा है और अगर आप उसके हाथ में कोई सांप भी दोगे तो उसे पकड़ने का प्रयास करेगा और उससे नहीं डरेगा क्योंकि उसे पता ही नहीं है कि डर होता क्या है।

उस समय उसके सबकॉन्शियस माइंड में ऐसी कोई इनफॉरमेशन ही नहीं होती है कि ये खतरनाक है। इसलिए आप अपने मन से खेलना सीखो और जिस भी चीज से आपको डरता है, उसे हिम्मत कर के करने का प्रयास करो। रिस्क लो और उस डर  को जड़ से मिटा दो।

क्योंकि इसी डर ने कई काबिल लोगों को आम जिंदगी जीने पर मजबूर करके रखा है। आप उनमें से एक मत बनो और डर पर जीत हासिल करो। इसलिए यह सच ही कहा गया है कि डर के आगे जीत है। इस प्रकार ऊपर के दिए गए एक्जाम्पल के द्वारा यह सिद्ध होता है कि डर के आगे जीत है।

जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहें!
बेस्ट ऑफ़ लक,

आपका मित्र !
हैरी,

 

इसे भी ज़रूर पढ़ें –> जब आप हर तरफ से हार जाएँ तो क्या करें?

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